भक्तिन
(संस्मरणात्मक रेखाचित्र)
महादेवी वर्मा
महत्त्वपूर्ण निर्देश
पाठ पढ़ना बहुत ही ज्यादा ज़रूरी है। पाठ पढ़िए, कठिन शब्दों की सूची बनाइए और कक्षा में
पूछिए।
पाठ से संबंधित प्रश्नोत्तर इस प्रकार हैं। इन्हें ज्यों का
त्यों नहीं उतार लेना है, बल्कि अपनी भाषा में बदलकर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखना
है।
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प्रश्न 1:भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? उसे `भक्तिन’ नाम
किसने और क्यों दिया होगा?
उत्तर – भक्तिन का
वास्तविक नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी था जिसका अर्थ है धन की देवी। लेकिन लक्ष्मी
के पास धन बिलकुल नहीं था। वह बहुत गरीब थी। इसलिए वह अपना वास्तविक नाम छुपाती
थी। उसे यह नाम उसके घरवालों ने दिया होगा। भारतीय समाज में लड़की का पैदा होना
वास्तव में लक्ष्मी का घर आना माना जाता है। इसलिए उसके जन्म लेने पर उसका यह नाम
रख दिया।
प्रश्न 2: दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भी भक्तिन
पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा बनती है कि
स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत है ?
उत्तर – दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भी
भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा की शिकार बनी।
भक्तिन की सास ने तीन पुत्रों को जन्म दिया तथा जिठानियाँ भी पुत्रों को जन्म देकर
सास की बराबरी कर रही थीं। ऐसी स्थिति में भक्तिन द्वारा सिर्फ़ कन्याओं के जन्म
देने से वे उसकी उपेक्षा करने लगीं। यह सही है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती
है। भक्तिन को उसके पति से अलग करने के लिए अनेक षड्यंत्र भी सास व जिठानियों ने
किए। इसा प्रकार देखा जाता है कि एक नारी दूसरी नारी के सुख को देखकर खुश नहीं
होती। पुत्र न होना, संतान न होना, दहेज
आदि सभी मामलों में नारी ही समस्या को गंभीर बनाती है। वह ताने देकर समस्याग्रस्त
महिला का जीना हराम कर देती हैं। दूसरी तरफ पुरुष को भी गलत कार्य के लिए उकसाती
है। नवविवाहिता को दहेज के लिए प्रताड़ित करने वाली भी स्त्रियाँ ही होती हैं।
प्रश्न 3: भक्तिन की बेटी पर पंचायत दवारा ज़बरन पति थोपा
जाना एक दुर्घटना भर नहीं ,बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री
के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) की स्वतंत्रता को कुचलते
रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक हैं। कैसे?
अथवा
भक्तिन की बेटी पर पंचायत दवारा ज़बरन पति थोपा जाना स्त्री
के के मानवाधिकार को कुचलने की परंपरा का प्रतीक है। ।’ इस कथन पर तर्कसम्मत
टिप्पणी कीजिए?
उत्तर – नारी पर अनादिकाल से हर फैसला
थोपा जाता रहा है। विवाह के बारे में वह निर्णय नहीं ले सकती। माता-पिता जिसे चाहे
वही उसका पति बन जाता है। लड़की की इच्छा इसमें बिलकुल शामिल नहीं होता। लड़की यदि
मान जाती है, तो ठीक वरना उसकी शादी जबरदस्ती करवा दी जाती
है। उसे इस बात का कोई अधिकार नहीं है कि वह किससे विवाह करे या किससे न करे। उसके
इस मानवाधिकार को तो माता-पिता सदियों से कुचलते रहे हैं।
प्रश्न 4: भक्तिन अच्छी है ,यह
कहना कठिन होगा ,क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं।
लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा ?
उत्तर – भक्तिन में सेवा-भाव है, वह कर्तव्यपरायणा है, परंतु इसके बावजूद उसमें अनेक
दुर्गुण भी हैं। लेखिका उसे अच्छा कहने में कठिनाई महसूस करती है। लेखिका को
भक्तिन के निम्नलिखित कार्य दुर्गुण लगते हैं –
1.
वह लेखिका के इधर-उधर
पड़े पैसे-रुपये भंडार-घर की मटकी में छिपा देती है। जब उससे इस कार्य के लिएपूछा
जाता है तो वह स्वयं को सही ठहराने के लिए अनेक तरह के तर्क देती है।
2. वह लेखिका को प्रसन्न
रखने के लिए बात को इधर-उधर घुमाकर बताती है। वह इसे झूठ बोलना नहीं मानती।
3.
शास्त्र की बातों को भी
वह अपनी सुविधानुसार सुलझा लेती है। वह किसी भी तर्क को नहीं मानती।
4.
वह दूसरों को अपने
अनुसार ढालना चाहती है, परंतु स्वयं में कोई परिवर्तन नहीं करती।
5.
पढ़ाई-लिखाई में उसकी
कोई रुचि नहीं है।
प्रश्न 5: भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न
को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया हैं?
उत्तर – जब लेखिका चोरी हुए पैसों के
बारे में लछमिन से पूछती है तो वह कहती है कि पैसे मैंने सँभालकर रख लिए हैं। क्या
अपने ही घर में पैसे सँभालकर रखना चोरी है। वह कहती है कि चोरी और झूठ तो धर्मराज
युधिष्ठिर में भी होगा। नहीं तो वे श्रीकृष्ण को कैसे खुश रख सकते थे और संसार
(अपने राज्य को कैसे) चला सकते थे। चोरी करने की घटनाओं और महाराज युधिष्ठिर के
उदाहरणों के माध्यम से लेखिका ने शास्त्र प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का वर्णन
किया है। जब भक्तिन हमेशा अपने सिर को घुटाती तो लेखिका के मना करने पर वह
काल्पनिक शास्त्र का कथन कहकर सिर मुड़ाने को धार्मिक कार्य सिद्ध कर देती –‘तीरथ
गए मुड़ाए सिद्ध’। इस प्रकार वह हमेशा तर्क खोज लेती थी।
प्रश्न 6: भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे
हो गईं?
अथवा
भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती हो गई, कैस? सोदाहरण लिखिए।
उत्तर – भक्तिन देहाती महिला थी। शहर में
आकर उसने स्वयं में कोई परिवर्तन नहीं किया। ऊपर से वह दूसरों को भी अपने अनुसार
बना लेना चाहती है, पर अपने मामले में उसे किसी प्रकार का
हस्तक्षेप पसंद नहीं था। उसने लेखिका का मीठा खाना बिल्कुल बंद कर दिया। उसने
गाढ़ी दाल व मोटी रोटी खिलाकर लेखिका की स्वास्थ्य संबंधी चिंता दूर कर दी। अब
लेखिका को रात को मकई का दलिया, सवेरे मट्ठा, तिल लगाकर बाजरे के बनाए हुए ठंडे पुए, ज्वार के
भुने हुए भुट्टे के हरे-हरे दानों की खिचड़ी व सफेद महुए की लपसी मिलने लगी। इन
सबको वह स्वाद से खाने लगी। इसके अतिरिक्त उसने महादेवी को देहाती भाषा भी सिखा
दी। इस प्रकार महादेवी भी देहाती बन गई।
प्रश्न 7: ‘आलो आँधारि’ की नायिका - लेखिका बेबी हलदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते है
?
उत्तर – बेबी हालदार का जीवन भी
संघर्षशील रहा है। वह भी भक्तिने की तरह लोगों के घरों में काम करती है। लोगों के
चौका बर्तन साफ़ कर अपना पेट पालती है। यही स्थिति भक्तिन की है। यद्यपि उसके पास
सबकुछ था लेकिन जेठ-जेठानियों और दामाद ने उसे कंगाल बना दिया। वह काम की तलाश में
शहर आ गई। बेबी हालदार और भक्तिन दोनों ही शोषण का शिकार रहीं।
प्रश्न 8: भक्तिन की बेटी के मामले में जिम तरह का फ़ैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है। समाचारों
में आने वार्ता किसी ऐसी ही घटना की भक्तिन के उस
प्रसंग के साथ रखकर विचार करें?
उत्तर – भक्तिन की बेटी के मामले में जिस
तरह का केसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज
बात नहीं है । अब भी पंचायतों का तानाशाही रवैया बरकरार
है । अखबारों या टीवी पर अकसर समाचार सुनने को मिलते हैं कि प्रेम विवाह को पंचायतें अवैध करार देती हैं तथा पति–पत्नी
को भाई–बहिन की तरह रहने के लिए विवश करती हैं । वे उन्हें सजा भी देती हैं । कईं बार तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है । यह मध्ययुगीन
बर्बरता आज भी विद्यमान है।
भाषा की बात
प्रश्न 9: नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के
उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और अर्थ स्पष्ट कीजिए –
1. पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले।
2. खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी।
3. अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूति।
उत्तर –
1.
इसका अर्थ है कि भक्तिन
(लछमिन) ने एक कन्या को जन्म देने के बाद दो कन्याएँ और पैदा कीं। अब वह तीन
कन्याओं की माँ बन चुकी थी। कन्या के संस्करण से आशय है कि उसी कन्या जैसी दो और
कन्याएँ पैदा हुईं।
2.
खोटा सिक्का कमियों से
भरपूर होता है। उसमें बहुत कमियाँ होती हैं। पत्नी भी यदि खोटे सिक्कों की टकसाल
हो तो वह कमियों की खान हैं अर्थात् उसमें बहुत से अवगुण हैं।
3.
अस्पष्ट पुनरावृत्तियों
से आशय है कि कि वही बातें बार-बार हो रही हैं जो पहले (अतीत) में होती रही हैं।
स्पष्ट सहानुभूति से आशय है कि लोगों का दूसरों (अन्य लोगों) के प्रति झूठ-मूठ की
सहानुभूति जताना अर्थात् संवेदनाहीन सहानुभूति प्रदर्शित करना। केवल औपचारिकता
निभाने के लिए कुछ कह देना ।
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