Tuesday, August 25, 2020

पद-2 पग घुँघरू बांधि मीरां नाची - मीरा

 

पद-2

पग घुँघरू बांधि मीरां नाची

पग घुँघरू बांधि मीरां नाची ।

मीराबाई कहती हैं कि वह पैरों में घुंघरू बाँधकर कृष्ण के समक्ष नाचने लगीं,

मानो घुंघरू की आवाज़ इस बात की घोषणा हो कि उन्हें कृष्ण मिल गए हैं।


मैं तो मेरे नारायण सूं, आपहि हो गई साची ।

इसीलिए वे कहती हैं- मैं अपने नारायण (कृष्ण)

की हो चुकी हूँ और यह बात सच है।


लोग कहें, मीरा भई बावरी, न्यात कहैं कुल-नासी ॥

उसके इस आचरण के कारण लोग उसे पागल कहते हैं।

नाते-रिश्तेवाले ताने देकर कहते हैं कि मीरा कुल का नाश करने वाली है।


विस का प्याला राणा भेज्या, पीवत मीरा हांसी ।

इस कारण राणा (परिवार के एक वरिष्ठ पुरुष सदस्य) ने मीरा

के पास विष का प्याला पीने के लिए भेजा, जिससे कि मर जाएं।

राणा की सोच थी कि मीरा का मंदिर में कृष्ण के सामने घुंघुरू

बांधकर नाचना कुल की मान-मर्यादा के विरुद्ध था।

उस प्याले को पीते हुए मीरा हंस पड़ीं।

 

मीरा अपने भीतर के अविनाशी तत्त्व से एकाकार हो चुकी थीं, जिसका कभी

विनाश नहीं होता है। इसलिए मीरा को राणा के इस प्रयास पर हंसी आयी कि

राणा ने अभी भी मीरा को मीरा ही समझा था, उन्हें पता नहीं था

कि वे अविनाशी तत्त्व से एकाकार हो चुकी हैं।


मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी ॥

मीरा कहती हैं कि उसका प्रभु गिरधर (कृष्ण) बहुत चतुर हैं,

जो उन्हें सहजता से प्राप्त हो गए। कृष्ण वही अविनाशी तत्त्व हैं।

 

शब्दार्थ

पग-पैर

नारायण-ईश्वर

सूं-की

आपहि-स्वयं ही

साची-सच में

भई-हुई

बावरी-पागल

न्यात-नाते-रिश्ते वाले

कुल-नासी-कुल का नाश करने वाली

विस-जहर

पीवत-पीती हुई

हाँसी-हँस पड़ी

गिरधर-पर्वत उठाने वाले, कृष्ण

नागर-चतुर

सहज-सहजता से, सरलता से

अविनासी-शाश्वत, अमर

अभ्यास-प्रश्न

1.     छन्द और भाषा का नाम बताइए।

2.     मीरा की काव्यभाषा पर तीस शब्दों में टिप्पणी कीजिए।

3.     लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?

4.     नाते-रिश्तेदार मीरा को क्या कहते थे और क्यों?

5.     राणा ने मीरा के लिए क्या भेजा तथा क्यों?

6.     विष का प्याला पीते हुए मीरा क्यों हंस पड़ीं?

7.     राणा की सोच क्या थी?

8.     सहज मिले अविनासी’-आशय स्पष्ट करें।

9.     कृष्ण-प्रेम में मीरा को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा होगा?

10.    पद का भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।

 

_______________________________________________________

राजेश प्रसाद                 व्हाट्सऐप 9407040108       psdrajesh@gmail.com

No comments:

मियां नसीरुद्दीन -कृष्णा सोबती (XI )

  मियां नसीरुद्दीन कृष्णा सोबती   _____________________________________________________   ‘मियां नसीरुद्दीन’ एक संस्मरणात्मक शब्दच...