Saturday, July 18, 2020

तुलसीदास के कवित्त 'किसबी किसान-कुल बनिक भिखारी भाट...' की व्याख्या-कवित्त-1


तुलसीदास के प्रथम कवित्त 'किसबी किसान-कुल बनिक भिखारी भाट...' की व्याख्या, शब्दार्थ एवं परीक्षोपयोगी प्रश्न का यूट्यूब लिंक।

कवित्त-1

 

(तुलसीदास की कवितावली के उत्तर कांड से उद्धृत)

 

भूमिका : तुलसीदास जी का जीवन निर्धनता में बीता था। इसलिए वे निर्धनता और भूख की पीड़ा को जानते थे। वे कहते हैं कि पेट की आग समुद्री ज्वालामुखी की आग से भी ज्यादा बड़ी और पीड़ा देने वाली होती है। जब अकाल हो जाए और पेट की आग से सभी लोग पीड़ित होने लगें तो स्थिति और भी बुरी हो जाती है। पेट की ऐसी आग राम रूपी घनश्याम (ईश्वर की कृपा-अनुकम्पा) से ही बुझ सकती है।

 

 

किसबी, किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट,

चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।

पेट को पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि,

अटत गहन वन अहन अखेटकी॥

 

तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रमिक-मज़दूर हों, किसान का परिवार हो, व्यापारी हो, भिखारी हो, भाट हो, नौकर हो, नट हो, चोर हो, अनुचर-गुप्तचर हो या जादूगर हो- सब पेट भरने के लिए ही काम-धंधा-विद्याएं सीखते हैं, पहाड़ों पर जाते हैं, भोजन के लिए शिकार करते हैं ।

 

ऊंचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि,

पेट ही को पचत, बेचत बेटा बेटकी।

        ‘तुलसी’ बुझाई एक राम घनस्याम ही तें

आगि बड़वागितें बड़ी है आगि पेटकी।

 

पेट भरने के लिए ही लोग अच्छे और बुरे कर्म करते हैं, धर्मसम्मत और अधर्मपूर्ण कार्य करते हैं और यहां तक कि अपने बेटे-बेटी को भी बेच देते हैं।

तुलसीदास कहते हैं कि पेट की आग समुद्री ज्वालामुखी की आग से भी ज्यादा जलाने वाली होती है। पेट की यह आग केवल ईश्वर की कृपा रूपी बादल से ही बुझाई जा सकती है।

शब्दार्थ

 

किसबी- काम-धंधा करने वाले श्रमिक

किसान-कुल- किसान का परिवार

बनिक-बनिया, व्यापारी

भाट-घूम-घूमकर गानेवाले

चाकर- नौकर-चाकर

चपल नट-चंचल नट, जो रस्सी पर चलने

                     आदि के खेल दिखाता है

चार- अनुचर, गुप्तचर

चेटकी- बाजीगर, जादूगर

पेट को पढ़त- पेट को पढ़ते हैं अर्थात भूख

                  को जानते-समझते हैं

गुन गढ़त – गुण सीखते हैं, गुणी बनते हैं

चढ़त गिरि – पहाड़ पर चढ़ते हैं

अटत – जाते हैं, घूमते हैं

गहन वन –गहरे वन

अहन -भोजन

अखेटकी – आखेट (शिकार) करना

पेट ही को पचत – पेट को ही भरते हैं

बेचत बेटा बेटकी – बेटे-बेटी को बेच देते हैं

बुझाई – बुझा सकते हैं

राम घनस्याम – राम रूपी घनश्याम    

                    (बादल), रूपक अलंकार

आगि - आग

बड़वागि – समुद्री ज्वालामुखी

 

 

सूक्ष्म प्रश्न

 

1.     इस कवित्त में किन-किन पंक्तियों में कौन-कौन से अलंकार आए हैं?

2.     इस कवित्त की रचना किस भाषा में हुई है?

3.     दुनिया के लोग विभिन्न प्रकार के कार्य क्यों करते हैं?

4.     भूख से परेशान होकर लोग कौन-कौन से बुरे कार्य करने के लिए विवश हो जाते हैं?

5.     पेट की आग को किस आग की तुलना में बड़ी बताया गया है?

6.     तुलसीदास के अनुसार अकाल की स्थिति में दुनिया को भूख से कौन मुक्ति दे सकता है?

7.     रामभक्त कवि तुलसीदास केवल भक्त-कवि नहीं हैं, वे समाज और संसार की पीड़ा से भी अच्छी तरह परिचित हैं। ये आप कैसे कह सकते हैं?

 

-राजेश प्रसाद

17.07.2020


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