Tuesday, August 25, 2020

नमक (उर्दू कहानी) : रजिया सज्जाद ज़हीर

 

नमक

(उर्दू कहानी)

रजिया सज्जाद ज़हीर

कहानी की बारे में

रजिया सज्जाद ज़हीर की `नमक` शीर्षक कहानी भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद सीमा के दोनों तरफ़ के विस्थापित और पुनर्वासित जनों के दिलों को टटोलती है और भौगोलिक रूप से दो भागों में बंट गये देश के लागों की भावनात्मक एकता की मार्मिक कहानी है। 

 

लाहौर से विस्थापित होकर भारत आई सिख बीबी आज भी लाहौर को ही अपना वतन मानती हैं और सफिया से सौगात के तौर पर वहाँ का नमक लाए जाने की फ़रमाइश करती हैं।

 

पाकिस्तान का कस्टम अधिकारी सफ़िया को नमक ले जाने की इजाजत देते हुए (जिसे ले जाना गैरकानूनी है) देहली को अपना वतन बताता है

 

इसी तरह भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दासगुप्त कहता है-मेरा वतन ढाका है। वह भी सफ़िया को नमक लाने की इजाज़त दे देता है।

 

राष्‍ट्र-राज्यों की नयी सीमा-रेखाएँ खींची जा चुकी हैं और मजहबी आधार पर लोग इन रेखाओं के इधर-उधर अपनी जगहें निश्चित कर चुके हैं, इसके बावजूद जमीन पर खींची गई रेखाएँ उनके मन तक नहीं पहुँच पाई हैं। राजनीति के स्तर पर उनके वतन की पहचान बदल चुकी हैकिन्तु इसे वे स्वीकार नहीं कर पाए हैं। एक अनचाही बाहरी बाध्यता ने उन्हें अपने-अपने जन्म-स्थानों से विस्थापित तो कर दिया है, पर वह उनके दिलों पर कब्जा नहीं कर पाई है।

 

नमक जैसी छोटी-सी चीज का पाकिस्तान से भारत लाया जाना पहचान के इस हार्दिक पहलू को परत-दर-परत दिखाता है। यह हार्दिक पहलू जब तक सीमा के आर-पार जीवित है, तब तक यह उम्मीद की जा सकती है कि राजनीतिक सीमाएं एक दिन अर्थहीन हो जाएँगी। लाहौर के कस्टम अधिकारी का यह कथन बहुत अर्थपूर्ण है-उनको यह नमक देते वक्त मेरी तरफ़ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ्ता-रफ्ता ठीक हो जाएगा।

 

कहानी पढ़ते हुए एक सवाल हमारे मन में जरूर उठ सकता है-क्या धर्म-मजहब के आधार पर नयी सीमाओं के आर-पार फेंक दिए गए लोगों के खत्म हो जाने के बाद नयी पीढ़ी यह लगाव रहेगा? क्या रफ्ता-रफ्ता सब ठीक हो जाने की उम्मीद भी खत्म हो जाएगी या बनी रहेगी?

 

शब्दार्थ

कदर-तरह

नेकी-भलाई

रहमदिली- दयालुता

उम्दा-श्रेष्ठ

नफ़ीस-सुरुचिपूर्ण

रसिया-रस लेने वाले

रुखसत-रवाना/प्रस्थान  

अजीज़-प्रिय

हुकूमत –शासन

मुरौवत –संकोच

शायर-कवि 

अदीब –साहित्यकार

देवों/देव –राक्षस (उर्दू फारसी में यही अर्थ होता है)

सरहद-सीमा

रान-जांघ

सिरहाने –चारपाई का सिर की तरफ का हिस्सा

दोहर-लिहाफ/चादर

दरख़्त-पेड़

अक्स –छाया/बिम्ब

बेशुमार –बहुत ज्यादा

इकबाल –सारे जहां से अच्छा...के कवि

लहज़ा-अंदाज़

खातून –सम्मानित महिला

रफ्ता-रफ्ता –धीरे-धीरे

हसरत –इच्छा

लिबास –पोशाक, परिधान, कपड़े

लबोलहजा/लब-ओ-लहजा –बोलने का अंदाज़

नवाज़ –सम्मानित करना

सफा –पन्ना

नज़रुल इस्लाम –बांग्लादेश के राष्ट्रकवि

फ़ख्र-गर्व

सालगिरह –वर्षगाँठ (जन्मदिन)

गोलमाल –गड़बडी

डाभ-नारियल (पानी से भरा हरा नारियल)

  

प्रश्न

अधोलिखित सभी प्रश्नों के उत्तर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए

१.     मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि क़ानून हैरान रह जाता है।` कहानी के आधार पर क्या यह कथन सही है? कैसे?

२.     सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?
उत्तर संकेत-
1. गै़रकानूनी है।
2. कस्टम अधिकारी।
3. बदनामी।

३.     नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में क्या द्वंद्व था?
उत्तर-संकेत

प्यार के तोहफे को चोरी-छिपे ले जाए या फिर कस्टम अधिकारियों को जानकारी देकर।

४.     जब सफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?
उत्तर संकेत -
कानूनन उन्होंने ग़लत किया था, इस अपराध-बोध के कारण वे सफ़िया को अनदेखा कर रहे थे।  खुद वे भी अपने वतन की यादों में खोये हुए थे।

५.     लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका हैजैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं।

उत्तर संकेत-

देश की सीमाएँ मनों को विभाजित नहीं कर सकतीं। राजनैतिक तौर पर भले ही हम विस्थापित हो जातें हैं परंतु भावनात्मक लगाव तो अपनी मातृभूमि से आजीवन बना रहता है।

६.     नमक ले जाने के बारे में सफ़िया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार परा उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर संकेत -
1. भावुक महिला वह मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि मानने वाली-दूसरों की  भावनाओं की कद्र करने वाली

2. सत्य आचरण महिला प्रेम की भेंट को चोरी से नहीं ले जाना चाहती।

3. मनुष्यता और मानवीय भावना पर विश्वास करने वाली- वह मानती है की कस्टम अधिकारी भी मानवीय हो सकते हैं

4. जोखिम उठाने को तत्पर महिला पाकिस्तान से नमक को भारत ले जाना गैरकानूनी होने पर भी वह जोखिम उठाने के लिये भी तैयार है।
5. वचन का पालन करने वाली महिला

 

 

७.     मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मीन और जनता बँट नहीं जाती है’- उचित तर्कों व उदाहरणों के जरिए इसकी पुष्टि करें।
उत्तर : मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मीन और जनता बँट नहीं जाती है’, यह कथन एक सत्य है। भौगोलिक विभाजन से भावनात्मक विभाजन नहीं हो सकता। इसीलिये आज भी पाकिस्तानी अधिकारी दिल्ली को, भारतीय अधिकारी ढाका को और सिख बीबी लाहौर को ही अपना वतन मानते हैं।
इसी कारण सिख बीबी लाहौर से नमकजैसी साधारण चीज लाने का अनुरोध करती है।

 

८.     नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे?
उत्तर-संकेत-

राजनीतिक कारणों से भारत और पाकिस्तान को भौगोलिक रूप से विभाजित कर दिया गया है, लेकिन दोनों देशों के लोगों के हृदय में आज भी पारस्परिक भाईचारा, सौहार्द्र, स्नेह और सहानुभूति है। राजनैतिक और स्वार्थी लोग ही दोनों देशों के नागरिकों में बैर होने की बात का प्रचार करते हैं और उसका फायदा उठाते हैं।

 

९.     100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए-

 

           `विश्व में एकता का प्रचार-प्रसार करने में साहित्य और कला का योगदान`

 


05 अगस्त 2020

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राजेश प्रसाद                               व्हाट्सऐप 9407040108                    psdrajesh@gmail.com

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