Tuesday, August 25, 2020

अभिव्यक्ति और माध्यम-5

 


 

अभिव्यक्ति और माध्यम के कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु

सभी विद्यार्थी अपनी हिन्दी लेखन-पुस्तिका में लिख लें।

                       

1.   पत्रकारिता ऐसी सूचनाओं का संकलन एवं संपादन कर आम पाठकों तक पहुँचाना, जिनमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो तथा जो अधिक से अधिक लोगों को प्रभावित करती होंपत्रकारिता कहलाता है।

पत्रकारिता : देश-विदेश में घटने वाली घटनाओं की सूचनाओं को संकलित एवं संपादित कर समाचार के रूप में पाठकों तक पहुँचाने की क्रिया/ विधा को पत्रकारिता कहते हैं।

2. समाचार : समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है,जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो और जिसका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता हो ।

3. समाचार के तत्त्व : पत्रकारिता की दृष्टि से किसी भी घटना, समस्या व विचार को समाचार का रूप धारण करने के लिए उसमें निम्न तत्त्वों में से अधिकांश या सभी का होना आवश्यक होता है:   नवीनता, निकटता, प्रभाव, जनरुचि, संघर्ष, महत्त्वपूर्ण लोग, उपयोगी जानकारियाँ, अनोखापन आदि ।

4. डेडलाइन- समाचार माध्यमों के लिए समाचारों को कवर करने के लिये निर्धारित समय-सीमा को डेडलाइन कहते हैं।

5.  संपादन प्रकाशन के लिए प्राप्त समाचार सामग्री से उसकी अशुद्धियों को दूर करके पठनीय तथा प्रकाशन योग्य बनाना संपादन कहलाता  है।

6. संपादकीयसंपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारात्मक लेख को, जिसे संबंधित समाचारपत्र की राय भी कहा जाता है, संपादकीय कहते हैं। संपादकीय किसी एक व्यक्ति का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होती है, इसलिए संपादकीय में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता ।

7.  खोजी पत्रकारिता– जिसमें आम तौर पर सार्वजनिक महत्त्व के मामलों जैसे, भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों की गहराई से छानबीन कर सामने लाने की कोशिश की जाती है।  स्टिंग ऑपरेशन खोजी पत्रकारिता का ही एक नया रूप है।

8. वॉचडॉग पत्रकारिता– लोकतंत्र में पत्रकारिता और समाचार मीडिया का मुख्य उत्तरदायित्व सरकार के कामकाज पर निगाह रखना है और कोई गड़बड़ी होने पर उसका पर्दाफाश करना होता है, परंपरागत रूप से इसे वॉचडॉग पत्रकारिता कहते हैं। इसे खोजी पत्रकारिता भी कहते हैं।

9. एडवोकेसी पत्रकारिताइसे पक्षधर पत्रकारिता भी कहते हैं। किसी खास मुद्दे या विचारधारा के पक्ष में जनमत बनाने के लिए लगातार अभियान चलाने वाली पत्रकारिता को एडवोकेसी पत्रकारिता कहते हैं।

10.      पीत पत्रकारिता पाठकों को लुभाने के लिये झूठी अफवाहों, आरोपों-प्रत्यारोपों, प्रेम संबंधों आदि से संबंधित सनसनी खेज समाचारों से संबंधित पत्रकारिता को पीत पत्रकारिता कहते हैं।

11.         पेज थ्री पत्रकारिताऐसी पत्रकारिता जिसमें फैशन, अमीरों की पार्टियों , महफ़िलों और जानेमाने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है।

12.       वैकल्पिक पत्रकारिता- मुख्य धारा के मीडिया के विपरीत जो मीडिया स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाकर उसके अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है ।आम तौर पर इस तरह के मीडिया को सरकार और बड़ी पूँजी का समर्थन प्राप्त नहीं होता और न ही उसे बड़ी कंपनियों के विज्ञापन मिलते हैं।

13.       विशेषीकृत पत्रकारिताकिसी विशेष क्षेत्र की विशेष जानकारी देते हुए उसका विश्लेषण करना विशेषीकृत पत्रकारिता है।

14.       विशेषीकृत पत्रकारिता के प्रमुख क्षेत्र संसदीय पत्रकारिता, न्यायालय पत्रकारिता, आर्थिक पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, विज्ञान और विकास पत्रकारिता, अपराध पत्रकारिता, फैशन और फिल्म पत्रकारिता।

15.           प्रमुख जनसंचार माध्यमप्रिंट, टी.वी., रेडियो और इंटरनेट

16.       प्रिंट माध्यम (मुद्रित माध्यम)-

·         जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम है ।

·         आधुनिक छापाखाने का आविष्कार जर्मनी के गुटेनबर्ग ने किया।

·         भारत में पहला छापाखाना सन 1556 में गोवा में खुला, इसे ईसाई मिशनरियों ने धर्म-प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए खोला था

·         मुद्रित माध्यमों के अन्तर्गत अखबार, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि आती हैं ।

17.        मुद्रित माध्यम की विशेषताएँ :

·         छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता है, इन्हें सुविधा अनुसार किसी भी प्रकार से पढा़ जा सकता है।

·         यह माध्यम लिखित भाषा का विस्तार है।

·         यह चिंतन, विचार- विश्लेषण का माध्यम है।

18.           मुद्रित माध्यम की सीमाएँ/ दोष :

·         निरक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम किसी काम के नहीं होते।

·         ये तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते।

·         इसमें स्पेस तथा शब्द सीमा का ध्यान रखना पड़ता है।

·         इसमें एक बार समाचार छप जाने के बाद अशुद्धि-सुधार नहीं किया जा सकता।

19.       मुद्रित माध्यमों में लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें :

·         भाषागत शुद्धता का ध्यान रखा जाना चाहिए।

·         प्रचलित भाषा का प्रयोग किया जाए।

·         समय, शब्द व स्थान की सीमा का ध्यान रखा जाना चाहिए।

·         लेखन में तारतम्यता एवं सहज प्रवाह होना चाहिए।

 

20.     रेडियो (आकाशवाणी) :

रेडियो एक श्रव्य माध्यम है । इसमें शब्द एवं आवाज का महत्त्व होता है। रेडियो एक रेखीय माध्यम है। रेडियो समाचार की संरचना उल्टा पिरामिड शैली पर आधारित होती है। उल्टापिरामिड शैली में समाचर को तीन भागों में बाँटा जाता है- इंट्रो, बॉडी और समापन। इसमें तथ्यों को महत्त्व के  क्रम से  प्रस्तुत किया जाता है, सर्वप्रथम सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण तथ्य को तथा उसके उपरांत महत्त्व की दृष्टि से घटते  क्रम में तथ्यों  को रखा जाता   है।

21.       रेडियो समाचार-लेखन के लिए बुनियादी बातें :

·         समाचार वाचन के लिए तैयार की गई कापी साफ-सुथरी और टाइप्ड कॉपी हो ।

·         कॉपी को ट्रिपल स्पेस में टाइप किया जाना चाहिए।

·         पर्याप्त हाशिया छोडा़ जाना चाहिए।

·         अंकों को लिखने में सावधानी रखनी चाहिए।

·         संक्षिप्ताक्षरों के प्रयोग से बचा जाना चाहिए।

22.      टेलीविजन (दूरदर्शन) : भारत में टेलीविजन का प्रारंभ 15 सितंबर 1959 को हुआ । यूनेस्को की एक शैक्षिक परियोजना के अन्तर्गत दिल्ली के आसपास के एक गाँव में दो टी.वी. सैट लगाए गए, जिन्हें 200 लोगों ने देखा । सन 1965 के बाद भारत में विधिवत्‌ टीवी सेवा आरंभ हुई । सन 1976 में दूरदर्शन  नामक निकाय की स्थापना हुई।जनसंचार का सबसे लोकप्रिय  व सशक्त माध्यम है। इसमें ध्वनियों के साथ-साथ दृश्यों का भी  समावेश होता है।

23.      टेलीविजन (दूरदर्शन) के लिए  समाचार  लिखते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शब्द व पर्दे पर दिखने वाले दृश्य में समानता हो।

24.      लाइव :किसी घटना का घटना-स्थल से सीधा प्रसारण लाइव कहलाता है।

25.      टी.वी. खबरों के विभिन्न चरण :

दूरदर्शन मे कोई भी सूचना निम्न चरणों या सोपानों को पार कर दर्शकों तक पहुँचती है

1.     फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज (समाचार को कम-से-कम शब्दों में दर्शकों तक तत्काल पहुँचाना)

2.     ड्राई एंकर (एंकर द्वारा शब्दों में खबर के विषय में बताया जाता है)

3.     फोन इन (एंकर रिपोर्टर से फ़ोन पर बात कर दर्शकों तक सूचनाएँ पहुँचाता है )

4.     एंकर-विजुअल (समाचार के साथ-साथ संबंधित दृश्यों को दिखाया जाना)

5.     एंकर-बाइट (एंकर का प्रत्यक्षदर्शी या संबंधित व्यक्ति के कथन या बातचीत द्वारा प्रामाणिक खबर प्रस्तुत करना)

6.     लाइव (घटनास्थल से खबर का सीधा प्रसारण)

7.     एंकर-पैकेज (इसमें एंकर द्वारा प्रस्तुत सूचनाएँ; संबंधित घटना के दृश्य, बाइट,ग्राफ़िक्स आदि व्यवस्थित ढंग से दिखाई जाती हैं)

26.      इंटरनेट: इंटरनेट विश्वव्यापी अंतर्जाल है, संसार का सबसे नवीन व लोकप्रिय माध्यम है। इसमें जनसंचार के सभी माध्यमों के गुण समाहित हैं। यह जहाँ सूचना, मनोरंजन, ज्ञान और व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक संवादों के आदान-प्रदान के लिए श्रेष्ठ माध्यम है, वहीं अश्लीलता, दुष्प्रचार  व गंदगी फैलाने का भी जरिया है ।

27.      इंटरनेट पत्रकारिता इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या आदान-प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है। इंटरनेट पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम- समाचार संप्रेषण के लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा- रिपोर्टर अपने समाचार को ई-मेल  द्वारा अन्यत्र भेजने    समाचार को संकलित करने  तथा  उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए करता है। रीडिफ डॉट कॉम, इंडियाइंफ़ोलाइन व सीफी भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटे है। टाइम्स आफ इंडिया , हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रैस , हिंदू, ट्रिब्यून आदि समाचार-पत्र इंटरनेट  पर उपलब्ध हैं। प्रभा साक्षी नाम का अखबार  प्रिंट रूप में न होकर सिर्फ नेट पर उपलब्ध है । हिंदी वेब जगत में अनुभूति, अभिव्यक्ति, हिंदी नेस्ट, सराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ चल रही हैं।

28.     इंटरनेट पत्रकारिता का इतिहास:

विश्व-स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का विकास निम्नलिखित चरणों में हुआ-

(१) प्रथम चरण-1982 से 1992

(२) द्वितीय चरण-1993 से 2001

(३) तृतीय चरण- 2002 से अब तक

28. भारत में इंटरनेट पत्रकारिता

इसका पहला चरण 1983 से तथा दूसरा चरण  2003 से शुरू माना जाता है। भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटें रीडिफ डॉट कॉम, इंडिया इफोलाइन व सीफी हैं । रीडिफ को भारत की पहली साइट कहा जाता है ।  वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता  शुरू करने का श्रेय  तहलका डॉट कॉम को जाता है।

29.      हिंदी में नेट पत्रकारिता

वेब दुनियाके साथ शुरू हुई। यह हिन्दी का संपूर्ण पोर्टल है।  प्रभा साक्षी  नाम का अखबार  प्रिंट रूप में न होकर सिर्फ नेट पर ही उपलब्ध है। आज पत्रकारिता के लिहाज से हिन्दी की सर्व श्रेष्ठ साइट बीबीसी की है, जो इंटरनेट के मानदंडों के अनुसार चल रही है। हिन्दी वेब जगत में अनुभूति, अभिव्यक्ति, हिन्दी नेस्ट, सराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ भी अच्छा काम कर रही हैं। अभी हिन्दी वेब जगत की सबसे बड़ी समस्या मानक की बोर्ड तथा फोंट  की है। डायनमिक फोंट  के अभाव के कारण हिन्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं ।

30.     पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया

पत्रकारीय लेखन

समाचार माध्यमों मे काम करने वाले  पत्रकार अपने पाठकों  तथा श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिए लेखन के  विभिन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं, इसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं। पत्रकारिता या पत्रकारीय लेखन के अन्तर्गत  सम्पादकीय, समाचार , आलेख, रिपोर्ट, फीचर , स्तम्भ तथा कार्टून आदि आते हैं। पत्रकारीय लेखन का प्रमुख उद्देश्य है- सूचना देना, शिक्षित करना तथा मनोरंजन आदि करना। इसके कई प्रकार हैं यथा- खोज परक पत्रकारिता, वॉचडॉग पत्रकारिता और एड्वोकैसी पत्रकारिता आदि। पत्रकारीय लेखन का संबंध समसामयिक विषयों, विचारों व घटनाओं से है। पत्रकार को लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए वह सामान्य जनता के लिए लिख रहा है, इसलिए उसकी  भाषा सरल व रोचक होनी चाहिए। वाक्य छोटे व सहज हों। कठिन भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। भाषा को प्रभावी बनाने के लिए  अनावश्यक विशेषणों,जार्गन्स (अरचलित शब्दावली) और क्लीशे (पिष्टोक्ति, दोहराव) का प्रयोग नहीं होना चहिए।

31.       पत्रकार के प्रकार- पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं ।

·         पूर्ण कालिक

·         अंशकालिक (स्ट्रिंगर)

·         फ्रीलांसर या स्वतंत्र पत्रकार

32.      समाचार लेखन समाचार उलटा पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं, यह समाचार लेखन की सबसे उपयोगी और लोकप्रिय शैली है। इस शैली का विकास अमेरिका में गृह-यद्ध के दौरान हुआ। इसमें महत्त्वपूर्ण घटना  का वर्णन पहले प्रस्तुत किया जाता है, उसके बाद महत्त्व की दृष्टि से घटते क्रम में घटनाओं को प्रस्तुत कर समाचार का अंत होता है। समाचार में इंट्रो, बॉडी और समापन के क्रम में घटनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं ।

33.      समाचार के छ: ककार समाचार लिखते समय मुख्य रूप से छ: प्रश्नों- क्या, कौन, कहाँ, कब , क्यों और कैसे का उत्तर देने की कोशिश की जाती है। इन्हें समाचार के छ: ककार कहा जाता है। प्रथम चार प्रश्नों के उत्तर इंट्रो में तथा अन्य दो के उत्तर समापन से पूर्व बॉडी वाले भाग में दिए जाते हैं ।

34.      फीचरफीचर  एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है ।

फीचर लेखन का उद्देश्य: फीचर  का उद्देश्य मुख्य रूप से पाठकों को सूचना देना, शिक्षित करना तथा उनका मनोरंजन करना होता है।

35.      फीचर और समाचार में अंतरसमाचार में रिपोर्टर को अपने विचरों को डालने की स्वतंत्रता नहीं होती, जबकि फीचर  में लेखक को अपनी राय , दृष्टिकोण और भावनाओं को जाहिर करने का अवसर होता  है । समाचार उल्टा पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं, जबकि फीचर  लेखन की कोई सुनिश्चित शैली नहीं होती । फीचर  में समाचारों की तरह शब्दों की सीमा नहीं होती। आमतौर पर फीचर , समाचार रिपोर्ट से बडे़ होते हैं । पत्र-पत्रिकाओं में प्राय: 250 से 2000 शब्दों तक के फीचर  छपते हैं ।

36.      विशेष रिपोर्ट : सामान्य समाचारों से अलग वे विशेष समाचार जो गहरी छान-बीन, विश्लेषण और व्याख्या के आधार पर प्रकाशित किये जाते हैं, विशेष रिपोर्ट कहलाते हैं ।

37.      विशेष रिपोर्ट के प्रकार:

1.     खोजी रिपोर्ट : इसमें अनुपल्ब्ध तथ्यों को गहरी छान-बीन कर सार्वजनिक किया जाता है।

2.     इन्डेप्थ रिपोर्ट: सार्वजनिक रूप से प्राप्त तथ्यों की गहरी छान-बीन कर उसके महत्त्वपूर्ण पक्षों को पाठकों के सामने लाया जाता है ।

3.     विश्लेषणात्मक रिपोर्ट : इसमें किसी घटना या समस्या का विवरण सूक्ष्मता के साथ विस्तार से दिया जाता है। रिपोर्ट अधिक विस्तृत होने पर कई दिनों तक किश्तों में प्रकाशित की जाती है।

4.     विवरणात्मक रिपोर्ट : इसमें किसी घटना या समस्या को विस्तार एवं बारीकी के साथ प्रस्तुत किया जाता है।

38.     विचारपरक लेखन : समाचार-पत्रों में समाचार एवं फीचर  के अतिरिक्त संपादकीय, लेख, पत्र, टिप्पणी, वरिष्ठ पत्रकारों व विशेषज्ञों के स्तम्भ छपते हैं । ये सभी विचारपरक लेखन के अन्तर्गत आते हैं ।

39.      संपादकीय : संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारात्मक लेख को, जिसे संबंधित समाचारपत्र की राय भी कहा जाता है, संपादकीय कहते हैं ।  संपादकीय किसी एक व्यक्ति का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता है, इसलिए संपादकीय में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता ।

40.     स्तम्भ  लेखन (कालम लेखन) एक प्रकार का विचारत्मक लेखन है। कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक अपने खास वैचारिक रुझान एवं लेखन शैली   के लिए जाने जाते हैं। ऐसे लेखकों की लोकप्रियता को देखकर समाचरपत्र उन्हें अपने पत्र में नियमित स्तम्भ- लेखन की जिम्मेदारी प्रदान करते हैं। इस प्रकार किसी समाचार-पत्र  में किसी ऐसे लेखक द्वारा किया गया विशिष्ट व नियमित लेखन जो अपनी विशिष्ट शैली व वैचारिक रुझान के कारण समाज में ख्याति प्राप्त हो, स्तम्भ लेखन कहा जाता है ।

41.       संपादक के नाम पत्र : समाचार पत्रों में  संपादकीय पृष्ठ पर तथा पत्रिकाओं की शुरुआत में संपादक के नाम आए पत्र प्रकाशित किए जाते हैं । यह प्रत्येक समाचारपत्र का नियमित स्तम्भ होता है । इसके माध्यम से समाचार-पत्र अपने पाठकों को जनसमस्याओं तथा मुद्दों पर अपने विचार एवम  राय व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है ।

42.      साक्षात्कार/इंटरव्यू: किसी पत्रकार के द्वारा अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए, किसी व्यक्ति विशेष से उसके विषय में अथवा किसी विषय या मुद्दे पर किया गया प्रश्नोत्तरात्मक संवाद साक्षात्कार कहलाता है ।

 

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