दिन जल्दी-जल्दी ढलता है
हरिवंश राय 'बच्चन'
दिन का यात्री जल्दी-जल्दी अपनी मंजिल पर पहुंच जाना चाहता है। उसे भय है कि बीच रास्ते में ही रात न हो जाए, जबकि मंजिल बहुत दूर नहीं है।
चिड़िया यह सोचकर जल्दी-जल्दी अपने पंख चलाती है कि बच्चे घोंसलों में इंतजार कर रहे होंगे।
पर कवि के कदमों की गति धीमी हो जाती है क्योंकि उसे अपनी दशा याद आ जाती है। उसकी न कोई मंजिल है, न कोई अपना इंतजार करने वाला है। इससे कवि का हृदय व्याकुलता से भर जाता है। वास्तव में कवि अपने अकेलेपन से और जीवन में प्रेम न होने के कारण भावुक हो जाता है।
इसके आधार पर उत्तर लिखो।
१. कवि की दशा दिन के पंथी और चिड़िया से किस प्रकार अलग है?
२. चिड़िया के पंखों में चंचलता क्यों आ जाती है?
३. चिड़िया के बच्चे किस प्रत्याशा में नीड़ों से झांक रहे होंगे?
हरिवंश राय 'बच्चन'
दिन का यात्री जल्दी-जल्दी अपनी मंजिल पर पहुंच जाना चाहता है। उसे भय है कि बीच रास्ते में ही रात न हो जाए, जबकि मंजिल बहुत दूर नहीं है।
चिड़िया यह सोचकर जल्दी-जल्दी अपने पंख चलाती है कि बच्चे घोंसलों में इंतजार कर रहे होंगे।
पर कवि के कदमों की गति धीमी हो जाती है क्योंकि उसे अपनी दशा याद आ जाती है। उसकी न कोई मंजिल है, न कोई अपना इंतजार करने वाला है। इससे कवि का हृदय व्याकुलता से भर जाता है। वास्तव में कवि अपने अकेलेपन से और जीवन में प्रेम न होने के कारण भावुक हो जाता है।
इसके आधार पर उत्तर लिखो।
१. कवि की दशा दिन के पंथी और चिड़िया से किस प्रकार अलग है?
२. चिड़िया के पंखों में चंचलता क्यों आ जाती है?
३. चिड़िया के बच्चे किस प्रत्याशा में नीड़ों से झांक रहे होंगे?
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