Tuesday, July 7, 2020

पतंग आलोकधन्वा




23 अप्रैल 2020

कई बार पढ़कर समझिए और अपनी लेखन-पुस्तिका में लिख लीजिए।
पतंग
आलोकधन्वा
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भादो-           वर्षा का आखिरी महीना
शरद आया पुलों को पार करते हुए -          दो ऋतुओं को जोड़ने वाले पुल/समय को पार करते हुए शरद ऋतु आई। शरद में आसमान साफ़ होता है, वर्षा की सम्भावना नहीं होती है, बिना डरे पतंग उड़ाई जा सकती है
चमकीली साइकिल- शरद की चमकीली साइकिल सूरज को कहा गया है
किलकारियों- अत्यधिक खुशी से चिल्लाना
कपास-         रुई, कोमलता। रुई सभी चोटों को सहन कर लेती है, झटकों को सोख लेती है।
बेसुध-           होश खोकर, सभी खतरों से अनजान होकर, सब कुछ भूलकर
मृदंग-           ढोलक जैसा एक ताल-वाद्य
महज़-           सिर्फ़, केवल
पेंग भरना-     न पता हो तो मम्मी-पापा से पूछो
रंध्र-              छिद्र (यहां रोम-छिद्र और नाक का छिद्र)

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सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया
सवेरा हुआ
खरगोश की लाल आंखों जैसा सवेरा
बरसात के कारण बच्चे पतंग नहीं उड़ा पा रहे थे।
पर अब तेज़ बरसात के महीने बीत चुके हैं।
भादो भी बीत चुका है ।
सुबह के समय खरगोश की आंखों की तरह वातावरण में लालिमा फैली है।

शरद आया पुलों को पार करते हुए
दो ऋतुओं को जोड़ने वाले समय को पार करके शरद ऋतु आयी है


अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए
शरद ऋतु अपनी चमकीली साइकिल चलाते हुए आई है,
अर्थात चमकते सूरज को देखा जा सकता है।

घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
शरद ऋतु की धूपवाली चमकीली सुबह जैसे पतंग उड़ाने की इच्छा रखने वाले बच्चों को
बुला रही है। बच्चों को आवाज़ों से शरद के आने का पता चल जाता है।


पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके—
शरद ऋतु ने आसमान को मुलायम कर दिया है, यानी पतंग उड़ाने लायक बना दिया है।
आसमान में बादल नहीं हैं।
अब बिना डरे ऊंचाई तक पतंग उड़ाई जा सकती है।

दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज़ उड़ सके
बांस की सबसे पतली कमानी उड़ सके
कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और
तितलियों की इतनी नाज़ुक दुनिया
दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज़ पतंग नहीं होती है,
पर बच्चों की दृष्टि में पतंग दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज़ है।
पतंग की कमानी सबसे पतली कमानी नहीं होती है,
(पर बच्चे पतंग की कमानी को ही सबसे पतली मानते हैं।
हमें जिनसे गहरा लगाव होता है, उसकी प्रशंसा हम बढ़-चढ़कर करते हैं।)
जब बच्चे पतंग उडाएंगे तो वातावरण में सीटियों और किलकारियों की आवाज़ फैल जाएगी ।
रंग-बिरंगी पतंगें नाज़ुक होती हैं। उनसे आसमान भर जाएगा। पतंगों को तितली कहा गया है।




जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
बच्चे में जन्म से ही कोमलता होती है।
उनमें कपास (रुई) जैसे गुण होते हैं।
जिस प्रकार  रुई सभी चोटों को सहन कर लेती है,झटकों को सोख लेती है,
बच्चे भी शारीरिक चोटों को झेल लेते हैं।

पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
जब बच्चे बेचैन होकर छतों पर दौड़ते हैं तो
वे दौड़ने की अपनी गति पर ध्यान नहीं देते हैं।
शायद सोच लेते हैं कि वे नहीं दौड़ रहे हैं,
बल्कि पृथ्वी उनके पैरों के नीचे से गुज़र रही है।
इतने बेसुध होकर, होश खोकर दौड़ते हैं कि
छत की कठोरता का भी उन्हें पता नहीं चलता है,
जैसे उन्होंने छतों को नरम मान लिया हो।
छतों पर उनके दौड़ने की धमाधम आवाज़ सभी दिशाओं में फैल जाती है।

जब वे पेंग भरते हुए चले आते हैं
डाल की तरह लचीले वेग से अकसर
छतों के खतरनाक किनारों तक—
झूला झूलने में पेंग भरा जाता है।
पेंग भरने पर झूले की गति बढ़ती है।
झूला उसी दिशा में और उसी बिन्दु तक पहुंचता है, जहां पहले था।
पेड़ की टहनी इतनी लचीली होती है कि यदि उसे खींचकर
छोड़ दिया जाए तो वापस अपनी जगह पहुंच जाती है।
बच्चे भी तेज़ी से दौड़ते हुए आते हैं।
 उनकाअपने लचीले शरीर पर इतना नियंत्रण होता है कि वे
छतों के खतरनाक किनारों तक आकर रुक जाते है।



उस समय गिरने से बचाता है उन्हें
सिर्फ़ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
बच्चे इसमें रोमांच (thrill) अनुभव करते हैं।
जिस तरह संगीत में गाने-बजाने का संयोजन (co-ordination) होता है,
उसी तरह उनका शरीर भी गति और दिशा से संयोजित (co-ordinated)
होता है। इसलिए वे छत से नीचे नहीं गिरते हैं।

पतंगों की धड़कती ऊंचाइयां उन्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
उनके हाथ में पतंग की डोर होती है, इसलिए उनमें यह
आत्मविश्वास होता है कि वे गिरेंगे नहीं।
उनका मन भी पतंगों के साथ उड़ता है।
वे खुद को पतंगों के साथ उड़ता महसूस करते हैं।

अपने रंध्रों के सहारे
अपने रंध्रों के सहारे वे खुद को पतंगों के साथ उड़ता महसूस करते हैं।
वे रोमांचित हो जाते हैं। उनकी सांसें भी तेज़ चलने लगती हैं।

अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं
पृथ्वी और भी तेज़ घूमती हुई आती है
उनके बेचैन पैरों के पास ।
पतंग पर ध्यान होने के कारण अगर बच्चे कभी छतों से गिर जाते हैं और
बच जाते हैं, तो उनके मन में आत्म-विश्वास पैदा हो जाता है, फ़िर
भविष्य में भी वे गिरने से डरते नहीं हैं।
वे और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं अर्थात
और ज्यादा ऊंचाई पर जाने से भी डरते नहीं हैं।
और बेचैन वे होकर तेज़ी से दौड़ते हैं।  
वे दौड़ने की अपनी गति पर ध्यान नहीं देते हैं।
शायद सोच लेते हैं कि वे नहीं दौड़ रहे हैं,
बल्कि पृथ्वी उनके पैरों के नीचे सेऔर तेज़ी से गुज़र रही है।

24 अप्रैल 2020

पतंग
आलोकधन्वा

आशा है कि आपने 23 अप्रैल 2020 को भेजी गई ‘पतंग’ कविता और उसकी व्याख्या ध्यान से अनेक बार पढ़ी होगी। आपके समक्ष कुछ अन्य अर्थ भी स्पष्ट हुए होंगे।
अब आपको प्रश्नों के उत्तर देने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी। जरूरी उत्तर संकेत दिए गए हैं।

अभ्यास-प्रश्न
1.     मानवीकरण अलंकार वाली पंक्तियां चुनकर लिखिए। (शरद)
2.     उपमा अलंकार वाली पंक्तियां चुनकर लिखिए। (खरगोश की आंखों जैसा)
3.     अतिशयोक्ति अलंकार वाली पंक्तियां चुनकर लिखिए। (सबसे रंगीन, सबसे पतली..)
4.     रूपक अलंकार वाली पंक्तियां चुनकर लिखिए। (तितलियों की नाज़ुक दुनिया)
5.     कविता की भाषा और शब्दों पर टिप्पणी कीजिए। (सरल खड़ी हिन्दी, चित्रात्मक, बिम्बात्मक, हिन्दी-उर्दू के शब्द)

6.     भादो के बाद प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन कवि ने दिखाया है? 100 शब्दों में लिखिए।
7.     दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या अर्थ है?
8.     बच्चों को छत क्यों नरम महसूस होती है?
9.     ऐसा क्या विशेष होता है कि बच्चे छतों से नहीं गिरते हैं? (उत्तर के लिए संकेत-रोमांचित शरीर का संगीत, धागा, लचीला वेग)

10. छत से गिरकर बच जाने के बाद बच्चों के मन में कौन-से भाव और विचार पैदा होते हैं? खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने में वे स्वयं को कैसा महसूस करते हैं?

11. तीन प्रकार के बिम्बों पर विचार कीजिए-

दृश्य बिम्ब-कविता पढ़ने पर जो चित्र हमारे मन में बनता है
श्रव्य बिम्ब -जो शब्द या आवाज़ सुनाई पड़ती है-घंटी, सीटियां, किलकारियां, मृदंग
स्पर्श बिम्ब-छूकर देखने और महसूस करने का भाव हमारे मन में पैदा होता है-मुलायम, नरम


कविता में ये बिम्ब किन-किन पंक्तियों में आए हैं?

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