कवित्त-2
(तुलसीदास की कवितावली के उत्तर कांड से उद्धृत)
भूमिका : रामभक्त कवि तुलसीदास केवल भक्त-कवि नहीं हैं, वे समाज और संसार की पीड़ा से भी
सरोकार रखते हैं। बेरोज़गारी और बेरोज़गारी से उत्पन्न निर्धनता से पैदा होने वाली
आर्थिक दशा को एक अर्थशास्त्री की तरह समझते हैं। दरिद्रता (निर्धनता) उनकी दृष्टि
में रावण है । संसार को दरिद्रता-रूपी रावण से मुक्ति दिलाने के लिए वे राम से
प्रार्थना करते हैं।
खेती न किसान को, भिखारी को न भीख-बलि
बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।
जीविकाबिहीन लोग सीद्यमान सोच बस
कहैं एक एकन सों-‘कहां जाई, का
करी?’
तुलसीदास जी
कहते हैं कि किसान को खेती से कुछ नहीं मिल पा रहा है, भिखारी को भीख और
दान-दक्षिणा नहीं मिल रही है। बनिये का व्यापार नहीं चल रहा है और न नौकरी-चाकरी खोजने
वालों के लिए नौकरी है। इस स्थिति में जीविकाविहीन (बेरोज़गार) लोग चिन्तित होकर
सोच में पड़ जाते हैं और एक-दूसरे से पूछते हैं-‘कहां जाएं, क्या करें!?’
बेदहूं पुरान कही, लोकहूं बिलोकिअत
सांकरे सबैं पे राम रावरें कृपा
करी।
दारिद-दसानन दबाई दूनी दीनबन्धु!
दुरित-दहन देखि तुलसी हहा करी॥
वेद और
पुराण कहते हैं और संसार में भी यही दिखाई देता है कि-‘हे राम, सभी लोगों पर आप ही
कृपा करते हैं। हे दीनबंधु, दरिद्रता रूपी रावण दुनिया को दबा रहा है अर्थात पीड़ा
दे रहा है। पूरा संसार गरीबी की आग में बुरी तरह जल रहा है। यह सब देखकर तुलसी हाहाकार कर उठता है।’
शब्दार्थ
बलि-दान दक्षिणा
जीविकाबिहीन-
बेरोज़गार
सीद्यमान –चिन्तित
होकर
सोच बस-सोच में
पड़ना
बेदहूं पुरान कही-
वेद और पुराण में
कहा गया है
लोकहूं बिलोकिअत-
लोक (संसार) में
भी देखा जा रहा है
|
सांकरे सबैं- सकल
सभी पर
रावरें-आप ही
दारिद-दसानन –
दरिद्रता रूपी रावण
दबाई –दबा रहा है
दूनी -दुनिया
दीनबन्धु- गरीबों
के मित्र
दुरित-दहन –बुरी
तरह जलना
हहा करी- हाहाकार
करना, दुखी होना
|
सूक्ष्म प्रश्न
1.
इस कवित्त में किन-किन पंक्तियों में कौन-कौन से अलंकार आए हैं?
2. इस कवित्त की रचना किस भाषा में हुई है?
3. कवि ने इस कवित्त में किस समस्या की चर्चा की है?
4. जीविकाविहीन लोगों की स्थिति को कवि ने किस प्रकार
उठाया है?
5. वेद-पुराण और संसार में तुलसीदास ने क्या देखा है?
6. दरिद्रता को कवि ने क्या कहा है?
7. तुलसीदास राम से क्या प्राथना करते हैं?
8. दोनों कवित्तों के आधार पर सप्ष्ट कीजिए कि तुलसीदास
को अपने समय की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ थी?
9.
राम से भूख और गरीबी से मुक्ति की प्रार्थना करना तुलसीदास का काव्य-सत्य है,
पर क्या यह युग-सत्य भी है? तर्क के आधार पर उत्तर दीजिए।
-राजेश प्रसाद
20.07.2020
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